छोड़ाए न छुटे मोह के धागे |

छोड़ाए न छुटे मोह के धागे ।छोड़ाए न छुटे मोह के धागे ।
चोट खाकर संभले ये रिश्ता।
मोह के गाँठ लिपट जाये धागे।
प्यार से मजबूत हुआ ये रिश्ता।
डर लगता है चटकर टुट -ना जाये ।
दिल कहता है सिमट जायें| मोह से लिपट जायें ।
पर मँजिल तो बगावत कर लेती हैं।
चाहे टुटे ,छुटे,या रुठे मोह के धागे ।