फूल तो डाल पे अच्छे लगते है ।

फूल तो डाल पे अच्छे लगते है ।फूल तो डाल पे अच्छे लगते है ।
महबूबा के बाल पर नहीं ।
लोग अपनी भूल को फूल से चुकता कर देते हैं ।
पर किसी के बदहाल पर नहीं ।
हमें लगा सिर्फ फूल तोड़े है वो भी अपने महबूब के लिए ।
हमें लगता है ये फूल खिलें हैं ,मेरे हर भूल के लिए ।
पर फूल को काँटे ही अच्छे लगते हैं ।
चाहे कितनी ही चुभन दे उसके हर भूल के लिए ।
ये तो फूलों की गरदीश है ,जो तोड़ लिये जाते है ।
तोड़ने बाले को क्या पता है
ये फूल की गम पर खुशियों की महल खड़ी की जाती है
बस फ़र्क इतना है वो खुशियों मना रहे होते हैं ।
फूल अपनी दर्द में भी उन्हें हँसा रहे होते हैं ।