चाँदनी ने अक्सर चाँद के लिये व्रत और श्रृंगार कि है

चाँदनी ने अक्सर चाँद के लिये व्रत और श्रृंगार कि है ।

चाँदनी ने अक्सर चाँद के लिये व्रत और श्रृंगार कि है ।
चाँदनी ने अक्सर चाँद के लिये व्रत और श्रृंगार कि है ।

चाँदनी ने अक्सर चाँद के लिये व्रत और श्रृंगार कि है ।

तभी तो खूद काँटों में रहकर फूल सा खिली है ।

है उसका हौसला जो इतनी तपस्विनी हो कर भी तुझे में मिली है।

पर ये कोई इतिहास में नहीं लिखा कि ।

उसे संघर्ष के बिना भी उसकी मुस्कान खिली है ।

ये तो बड़प्पन है उसका हर हालात में , चाँद के साथ मुस्कुराकर चली है।

पर मैनें चाँद को चाँदनी के लिये श्रृंगार करते नहीं देखा है ।

ना हीं उसके लंबी उम्र के लिए व्रत और त्योहार देखा है

ये तो अजीब कसमकश है ,रिश्ते का जिसके मेल जोल से प्यार और परिवार देखा है।

#करवा चौथ# ,वट वृक्ष पूजा# पतिदेवता #पर ये कहीं नहीं पत्नी पूजा #

See also  Embracing the Future of Learning: A Comprehensive Guide to Top Online MBA Programs

PatelJee is a Daily Wishes Quotes generator and uploaded content on daily basis related to daily needs. It is always try to make Visitors happy and try to get smile on the users face.